Friday, May 27, 2011

कुछ यादें - डायरी के फटे पुराने पन्नों से.

ये कविता मैंने अपने ग्रेजुअसन के दिनों मैं लिखा था.. हिंदी मैं वर्तनी सम्बन्धी दिक्कत मुझे बचपन से ही थी.. लेकिन फिर भी हिन्दी से जबरदस्त लगाव था! अब इस बात का डर नहीं है.. बहुत software हैं phonetic typing के लिए . ये मैंने २००१ मैं लिखा था.. डायरी मैं तिथि लिखने की आदत न होने की वजह से महीना और दिन बता पाना संभव नहीं है..

जब मैंने उसे देखा
सूरज की पहली किरण सी,
या फिर,
ढलती शाम सी,
नहीं! ऐसी भी नहीं थी वो-
सवेरा या शाम लगे जो,
क्यूंकि, सवेरा या शाम मुझे,
इतनी अच्छी कभी नहीं लगी,
इतनी उम्मंगे कभी नहीं सुलगी|
या थी वो, मेरी भावनाओं का प्रतिरूप?
या मेरी आकांक्षाओं का ही स्वरुप?

हे कृष्ण! क्या यही है प्रेम-अगन-
अगर यही तो, क्यों नहीं जल रहा मेरा मन?
अगर यही तो, क्यों नहीं तरपता मेरा मन?
अगर नहीं तो, फिर ये आकर्षण क्या है?
अगर नहीं तो, फिर ये प्रलोभन क्या है?

जब मैंने उसे देखा
दूसरी बार,
उसकी आँखे,
मुझे बुला रही थी,
और मुझे तरपा रही थी,
या, शायद -
कुछ और भी बता रही थी,
फिर देखा मैंने उसमें अपनी ही-
भावनाओं का समावेस|
या फिर उसमें खुद को ही-
देखा था निरुद्धेश्य ||


हे कृष्ण! क्या यही है प्रेम-अगन-
अगर यही तो, क्यों नहीं भर रहा मेरा मन?
अगर यही तो, क्या नहीं है ये एक व्योम सुमन?
अगर नहीं तो, फिर यह उज्जवलता क्या है?
अगन नहीं तो, फिर ये प्रज्जव्लता क्या है?


जब मैंने उसे देखा
अंतिम बार,
उसकी आँखे,
निरुद्धश्य देख रही थी,
अनिक्षाओं से भरी मुस्कराहट,
व्यंग बाण फ़ेंक रही थी,
या शायद-
ये वो नहीं थी, जिसे मैंने चाहा था,
वो तो मुझी मैं खो गई, जिसे मैंने सराहा था|
आज मैं उसकी आँखों मैं सरलता,
नहीं देख रहा था |
जिसे मैंने चाहा था उसमें, निश्छलता,
नहीं देख रहा था ||


हे कृष्ण! क्या यही है प्रेम-अगन-
अगर यही तो, क्यों नहीं नाम इसका द्वेश-जलन?
अगर यही तो, क्या नहीं था रोया तेरा मन?
ये प्रेम-अगन इसलिए की, जलाता है यह मन!
अगर नहीं तो, फिर वह अपनापन क्या था?
अगन वही तो, फिर यह  द्वेश-जलन क्या है?
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- Ravi S. Singh


आपके बहुमूल्य आलोचना की आशा  करता हूँ.. अनर्गल टिप्पणी मिटा दी जायेगी 

Virtual world steps onto zero ground : The Rising Bihar


Social Networking Site – Good or Bad?

Gone are the days when Internet was only limited to personal chit-chat and sending e-mails or youth just busy exchanging greeting cards and flierting.. we have witnessed so many changes in the trends of using internet and the there was a time when people believed that internet will increase nudaty and other social evils.

Internet for good and for bad? selection is yours. Some youth has proved it that how this medium can bring enthusiastic youth together for revolution, for development and for prosperity. The Rising Bihar famously known as TRB is a group on one of the top social networking site Facebook having more then ten thousand member now determined to solve social issue like education, poverty, dowry, child labor on ground level defeating the prejudice ‘what can be done on internet!’, by setting a example of what is impossible when responsible, enthusiastic youth decides to happen.

“We lives outside bihar but that alone can’t stop me doing some good for bihar.” Reads a comment posted by a member in TRB this shows the commitment and positives of youth of new and emerging bihar.

The home page of TRB (http://www.therisingbihar.com/) gives a brief but strong motive of the group.
"TRB is an awakening tale of those young enthusiastic Bihari people, who met each other on internet, at social networking sites like Orkut and facebook. Most of us are living outside our homeland Bihar for our livelihood and career. This was probably the major reason TRB took shape as all of us have had a desire to contribute in the progress of our home state with whatever we can, and from wherever we are! We had started with discussion on orkut on many Bihar related issues. It was the time when we would spend most of our time debating with each other on a social networking site orkut.. After TRB as founded, it was not only a place for chit-chat and argument but we had a vision this time. The vision of our own contributing hands to our developing state. Later, we started this group on facebook as well. In short, one can say that it’s not just a group but a revolution in itself! You all our visitors are more than welcome to join us through out our campaign and spread the message of love & prosperity.”