फ़िक्र नहीं तुसे ना मिलने ना मिलने का..
हम कब्र मैं पड़े सरे राह देखते हैं..
नींद नहीं आती तुम्हें भूल के भी लेकिन..
हम तो सपनो मैं भी तुम्हारी बारात देखते हैं..
चाँद की फ़िक्र चाँदनी को तो होती ही होगी...
हम फ़िक्र करते हैं और हयात देखते हैं..
फिक्र्मंदों की फिरकी का खूब ख्याल रहता है हमें...
हम पागल हैं उन फिकरों मैं हालत देखते हैं..
नींद नहीं आती सपनों मैं तुम्हारी बारात देखते हैं..
हम कब्र मैं पड़े सरे राह देखते हैं..
नींद नहीं आती तुम्हें भूल के भी लेकिन..
हम तो सपनो मैं भी तुम्हारी बारात देखते हैं..
चाँद की फ़िक्र चाँदनी को तो होती ही होगी...
हम फ़िक्र करते हैं और हयात देखते हैं..
फिक्र्मंदों की फिरकी का खूब ख्याल रहता है हमें...
हम पागल हैं उन फिकरों मैं हालत देखते हैं..
नींद नहीं आती सपनों मैं तुम्हारी बारात देखते हैं..
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